बक (शब्द)
तोड़ गहि मनेता जुटकन बक बअनर। (वर्णों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं। एकासे का ओय, अल्ला, बेरखा, दई, एड़पा, एन्नेम
मनेता लेखआ बक ही ऍंड डाड़ा (अर्थ के अनुसार शब्द के दो भेद)
1) मनेता बक (सार्थक शब्द)
2) बेमनेता बक (निरर्थक शब्द)
- मनेता बक :- एका बक गहि इन्दरइम मने उरखी अंदिन मनेता बक बअनर। (जिन शब्दों का कुछ अर्थ निकले उन्हें सार्थक शब्द कहते हैं।) एकासे का : कुकोय, टटखा, टमरस, कुकोस, मन-मास, एन्नेम
- बेमनेता बक :- एक बक गहि इन्दरइम मने मल उरखी, अदिन बेमनेता बक बअनर। (जिन शब्दों का कोई अर्थ न निकले, उन्हें निरर्थक शब्द कहते हैं।) एकासे का : मका, लका, तका, चें-चें, पें-पें, के-के, टे-टे एन्नेम
बढ़रका लेखआ बक ही डाड़ा (विकार के अनुसार शब्द के भेद)
1) बढ़रका बक (विकारी शब्द)
2) बेबढ़रका बक (अविकारी मलता करिचका बक)
1.बढ़रका बक- एका बक घी मेद, गनयाँ, ननतुउद, आल गुट्ठी ही चड्डे – मुठन बदलारई काली, आद बढ़रका बक बारई।
(जिस शब्द का लिंग वचन कारक और व्यक्ति लोग के कारण रूप बदल जाता है, उसको विकारी शब्द कहते हैं एकासे का – आल, आलर, कुक्को, कुक्कोर कुकोय, कुकोयर गुट्ठी ।
2.बेबढ़कर बक – बेबढरका बक आद बारई, एकदा ही मुठन नू एकअम बेसे हूँ मल बदलारई, हुरमी बेड़ा ओंटम बनचकी रई, अदिन बेबढ़रको मलता करिचका बक हूँ बअनर।
एकासे का – एकासे, एकाबीरी, अरा, दरा, पहें इन्नेम।
बढ़रका – बेबढ़रका बक गहि डाड़ा :
- बढ़रका बक नाख़ बरन गहि र’ई
(विकारी शब्द चार (4) प्रकार के हैं)
- बेबढ़रका बक नाख़ बरन ही र’ ई
(अविकारी शब्द चार प्रकार के होते हैं)
1) ननना गुनखी (क्रिया विशेषण)
2) नता तुनउ (सम्बन्धबोधक)
3) जोरन तुनउ मलता जो-ड़ऊ (समुच्चयबोधक)
4) हयकट तुनउ (विस्मयादिबोधक)