ननना गहि एका मुठन ती आदि गहि नलख नन्ना अरा मन्ना घी बेड़ा अख़तार ‘ई, अदिन परिया ब’अनर। (क्रिया का वह रूप है जिससे करने या होने के समय तथा पूर्णता अथवा अपूर्णता का ज्ञान कराता है, उसे काल कहते हैं।)
एकासे का –
नीन टूडदय।
सोमस डंड्डी पड़ियस
इसन ‘टूड़दय’ ती टूड़ना नलख घी बेड़ा र अना परिया नू अख़तारई अरा ‘पाड़ियस’ ती अख़तारई का आ नलख़ मुधिम मंज्जा केरा अक्कुन मल मना लगी। अवंगे इय्या ती केरका बेड़ा अख़ताई। एन्नेम नलख़ नन्ना ती एका बेड़ा अख़तारई, अदिनुम परिया बअनर|
कुँडुख नू परिया मून्द गोटंग मनी
(कुँडुख में काल तीन प्रकार के होते हैं)
(1) रअना परिया (वर्तमान काल)
(2) केरका परिया (भूत काल)
(3) बरना परिया (भविष्य काल)
रअना परिया (वर्तमान काल)
ननना गहि एका मुठन ती रअना बेड़ा नु नलख़नन्ना का मन्ना अख़तार ‘ई अदिन र’अना परिया ब’अनर। (क्रिया के जिस रूप से वर्तमान समय में कार्य करने या होने का जानकारी होता है उसे वर्तमान काल कहते हैं।)
एकासे का
नीन बचदय।
नीन ओनदय।
पेल्लर डंड्डी पाड़नर
नीन बरदय
एन ओन्दन
र ‘अना परिया गहि नाख़ डाड़ा मनी
(वर्तमान काल के चार प्रकार होते हैं।)
(1) सुर्रा र ‘अना परिया (सामान्य वर्तमान काल)
(2) पूरचका र’अना परिया (पूर्ण वर्तमान काल)
(3) नननुम र ‘अना परिया (अपूर्ण वर्तमान काल)
(4) तनते-मनते र’अना परिया (आसन्न वर्तमान काल)
1. सुर्रा र ‘अना परिया ( सामान्य वर्तमान काल ) :-
ननना गहि एका मुठन ती सुर्रा र ‘अना बेड़ा नु नलख मन्ना अखतार ‘ई, अदिन सुर्रा र’अना परिया ब’अनर। (क्रिया के जिस रूप से सामान्य वर्तमान समय में कार्य होने का जानकारी प्राप्त होता है उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं।)
एकासे का
नीन बचदी।
ए-न टूड्दन ।
आस पाड़दस।
एन ओक्कन।
आस मण्डी ओनदस
एम ओन्दम।
आद बर ‘ई।
आस बरदस
2 पूरचका र’अना परिया (पूर्ण वर्तमान काल) :
पूरचका रअना परिया आद तली एकदा ती नलख पूरचका रअना बेड़ा नू अख़तारई अदिन पूरचका र’अना परिया ब’अनर। (पूर्ण वर्तमान काल वह है जिससे क्रिया के होने की पूर्णता वर्तमान काल में पायी जाय, उसे पूर्ण वर्तमान काल कहते हैं।)
एकासे का
आद मंड्डी ओंडकी रई।
ए-न बचचकन रअदन।
नीन पाड़िकय रअदय।
नीन एड़पा केरका र’अदय।
आस बरचका र’अदस।
आद टट्ख मुक्की र ‘ई।
आस पुथी टूडकस रअस
3. नननुम र ‘अना परिया (अपूर्ण वर्तमान काल) :
ननना गहि एका मुठनन ती नलख़ ओर मंज्जकी र ‘ई, मुंदा मल पूरचकी र ‘ई मननुम रई आद अख़तार ई अदिन नननुम र ‘अना परिया व ‘अनर। (क्रिया के जिस रूप से कार्य (काम) शुरू हुआ है और नहीं खतम हुआ है चल ही रहा है उसका जानकारी प्राप्त होता है। उसे अपूर्ण वर्तमान काल कहते हैं।)
एकासे का –
आस एड़पा कमआलगदस।
नीन बचआ लगदय।
एन पाड़ा लगदन।
आ गोला अल्ला चींखा लगी।
ए-न बरआ लगदन।
एन बेंज्ज नला लगदन।
आ पेल्लो परदा लगी।
आ मन्न परदा लगी।
ए-न कुँडुख पुथी टूड़ा लगेन।
नीन ओना लगदय।
4.ननते-मनते रअना परिया (आसन्न वर्तमान काल) :
ननना गहि एका मुठन ती नलख ओ’र मंज्जकी र’ई अरा सरलगले मन्नुम र ‘ई आद अख़तार ‘ई अदिन ननते-मनते र’अना परिया ब’अनर। (क्रिया के जिस रूप से कार्य (काम) शुरूवात हुआ है और लगातार होते रहता है उसका जानकारी प्राप्त होता है उसे आसन्न वर्तमान काल कहते हैं।)
एकासे का –
भंगरस डंडी पाड़नुम र’अदस।
सोमस गोहला उड्नुम र ‘अदस।
आस मंड्डी उन्नुम रअदस।
खद्दस चींखनुम रअदस
जोख़र पेल्लर अख़ड़ा नु बेचनुम र’अनर।
केरका परिया (भूतकाल)
केरका परिया गहि नाख़ डाड़ा मनी (भूतकाल के चार प्रकार होते हैं।)
(1) सुर्रा केरका परिया (सामान्य भूतकाल)
(2) पूरचका केरका परिया (पूर्ण भूतकाल)
(3) नननुम केरका परिया (अपूर्ण भूतकाल)
(4) ननते मनते केरका परिया (आसन्न भूतकाल)
सुर्रा केरका परिया (सामान्य भूतकाल) :
सुरां केरका परिया आद तली, ननना गहि एका गुठन ती एकदा नलख ही सुरो पहें बितचका बेड़ा नु मंज्जका अख़तार’ई अदिन सुर्रा केरका परिया ब’अनर। (सामान्य भूत काल वह है जिससे क्रिया के सामान्य तौर पर बीते समय में हो चुकने का बोध हो।)
एकासे का
मोहनस बरचस।
नीन बरचकय।
नीन ऑड्डकय।
सुमीरी मोक्ख ।
मंगरी बरचा।
आर डण्डी, पाड़ियर ।
नीम बरचकर।
पूरचका केरका परिया (पूर्णभूत काल) :
पूरचक केरका परिया अदिन ब’अनर एकादा ती नलख पूरचका अख़तार’ई। (पूर्ण भूतकाल उसे कहते हैं जिससे क्रिया के होने की पूर्णता पायी जाय)
एकासे का
नीन बेंज्जरकय रअचकय।
आस मंड्डी ओंड्डका रअचस।
आद एड़पा बरचकी रअचा।
नीन अस्मा मोक्कय रहचकय।
नीन एमचकय रहचकय।
आस उक्कका रहचस।
ए-न मंड्डी ओंडड्कन रअचकन ।
नीन मेंज्जकय रअचकय।
नननुम केरका परिया (अपूर्ण भूत काल) :
एकदा ती नलख़ आ बेड़तिम ओर मंज्जकी रई पहें मल पूरचका अख़तार ‘ई, अदिन नननुम केरका परिया ब’अनर। (जिस क्रिया के बीते समय में अपूर्ण रह जाने का बोध हो, उसे अपूर्ण भूत काल कहते हैं।)
एकासे का
सोमरस मंड्डी ओनना लगियस।
नीम डंडी पाड़ा लइक्कर।
ए-न मंड्डी ओना लइक्कन।
आद मंड्डी खटआ लगिया।
नीम टट्ख मो-ख़ा लइक्कर।
आर एड़पा कमआ लगियर।
खद्द चींखा लगिया।
नीम अस्मा मो-खा लइक्कर ।
ननते-मनते केरका परिया (आसन्न भूत काल) :
एका ननना ती नलख़ आ बेड़ातिम ओर मंज्जकी रअचा सर लगले मन्नुम रअचा आद अख़तारई अदिन ननते-मनते केरका परिया ब’अनर। (जिस क्रिया से कार्य उस समय से शुरू हुआ है और लगातार चल ही रहा है उसका जानकारी प्राप्त करता है। उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं।
एकासे का –
नयगस पूजा नननुम रहचस।
मंगरी ख़ेस खोयनुम रहचा।
एड़पा नु एंडा-भीड़ी बरनुम रहचा।
सोमस मंड्डी उन्नुम रअचस।
पेल्लो चींखनुम रअचा।
मन्न ताका ती ताघरनुम रहचा।
खाड़ नु ईज्जो बरनुम रहचा।
नयगनी पूजा नननुम रहचा
अड्डो एँडा टोंक्का नु मेंन्नुम रहचा।
बरना परिया (भविष्यत् काल)
एका बकपून ती अख़तार’ई का नलख़ख़ अक्कुन अरगी मना पहें बरना बेड़ा नु मनो, अदिन बरना परिया ब’अनर। (जिस वाक्यों से पता चलता है कि काम अभी हुआ नहीं है बल्कि आने वाले समय में होगा, उसे भविष्यत् काल कहते हैं।)
एकासे का
ए-न ख़ेस इद ‘ओन ।
एंगदस लूर कुड़िया कालोस।
बबास (बंगास) पे-ठ कालोस।
पेल्लर-जोक्खर जतरा कलोर।
एन पे-ठ कालोन।
दाई ए-न मंड्डी ओनोन।
अयंग ए-न अंड्डो तारा कालोन।
बरना परिया गहि मूंद डाड़ा मनी
(भविष्यत् काल का तीन प्रकार होता है।)
(1) सुर्रा बरना परिया (सामान्य भविष्यत् काल)
(2) पूरचका बरना परिया (पूर्ण भविष्यत् काल)
(3) ननते-मनते बरना परिया (आसन्न भविष्यत् काल)
1. सुर्रा बरना परिया (सामान्य भविष्यत् काल ) :
एकदा बकपून ती ननना गहि सुर्रा रूपे ती बरना बेड़ा नु मन्ना अख़तार ‘ई, अदिन सुर्रा बरना परिया ब’अनर। (जिस वाक्यों से क्रिया का सामान्य रूप से भविष्य में होना पाया जाय, उसे सामान्य भविष्य काल कहते हैं।)
एकासे का
मैं खाऊँगा -ए-न ओनोन।
तू खाएगा-नीन ओनोय।
तुम पढ़ेगा – नीन बचओय।
तुम स्कूल जायेगा – नीन लूर-कुड़िया कालोय।
मैं किताब लिखूँगा – एन पुथि टूड़ोन।
वह खायेगा -आस ओनोस।
तुम रोटी खाएगा – ए-न असमा मोख़ोन।
2.पूरचका बरना परिया (पूर्ण भविष्यत् काल)
एका बकपून ती ननना गहि बरना बेड़ा नु पूरचका केरका अख़तार’ई अदिन पुरचका बरना परिया ब’अनर। (जिस वाक्यों से क्रिया का भविष्य में पूर्ण रूप से हो चुकना पाया जाय, उसे सामान्य भविष्य काल कहते हैं।)
एकासे का
ए-न मंड्डी ऑड्डकन रओन।
नसगो झरा नु अम्म सज्जकी रओ।
मंगरस एड़पा अंडिसकस र’ओस।
आस बरकस रओस।
नीन सपड़ारकय रओय।
बुधनी एड़पा बरचकी र’ओ।
नसगो मंड्डी ख़टकी रओ।
3 ननते-मनते बरना परिया (आसन्न भविष्य काल) :
एका बकपून ती ननना गहि बरना बेड़ा नु मल पूरचका मन्नुम र अना अख़तार ‘ई, अदिन ननते-मनते बरना परिया व ‘अनर (जिस वाक्यों से क्रिया के भविष्य में अपूर्ण रूप से नहीं हो चुकना पाया जाय, उसे आसन्न (अपूर्ण) भविष्यत् काल कहते हैं।)
एकासे का
नीन बचअत रओय आस बरअत रओस।
आद कालत र’ओ।
जॉक्खस डण्डी पाड़त र’ओस।
दद्स बर’अत र’ओस।
ए-न टूड़त रओन।
आद मंड्डी ओनात र’ओ।
आद पे-ठ कालत रओ।
अन्य पढ़े
पिंज्जका (संज्ञा) के बारे में पढ़े|
मेद (लिंग) के बारे में पढ़े|
FAQ
Q. “आस पुथी टूडकस र’अस” एका परिया हिके तेंगा?
=>पूरचका र’अना परिया
Q. “नीन एड्पा केरका र’अदय” तेंगा एका परिया हिके?
=>पूरचका र’अना परिया