गनयाँ (वचन)
बक ही आ रूपेन गनयाँ बअनर एकदा ती गन (संख्या) अख़तारई।
(शब्द के उस रूप को वचन करते हैं, जिससे संख्या जानी जाती है।)
इदिन एने हूँ ब’आ ओंगदात-एका लक ती गन अख़तार’ ई अदिन गनयाँ ब’ अनर,
(जिस शब्द से संख्या की जानकारी होती है उसे वचन कहते हैं।)
एकासे का :
आस मोख़ा लगदस । (वह खा रहा है।)
पेल्लर पाड़ा लगनर । (लड़कियाँ गा रही है।)
एन टूड़ा लगदन । (मैं लिख रहा हूँ।)
ए-म टूडड़ा लगदम । (हमलोग लिख रहे हैं।)
कुक्कोस बे-चा लगदस । (लड़का खेल रहा है।)
कुकोयर बेचा लगनर (लड़कियाँ खेल रही है।)
इसन “ए-न टूड़ा लगदन । ‘अरा” कुक्कोस बे-चा लगदस। ‘आस मोखा 44 लगदस” बाचका ती ओरोत आल रअना गहि पता लग्गा लगी। दरा “पेल्लर पाड़ा लगनर”। अरा “कुक्कोर बे-चा लगनर” ए-म टूड़ा लगदम। ” बाचका ती बग्गे आल रअना गहि पता लग्गी। ई बग्गे आलारिन गनचकातिम अख़तार’ ई का एवंदा बग्गे रअनर। अवंगेम इदिन गनयाँ बातारकी र’ ई।
कुँडुख़ नू गनया ऍड़ बरन गहि मनी :
(कुँडुख़ में वचन दो प्रकार के होते हैं)
(1) ओंद गनयाँ (एक वचन)
(2) बग्गे गनयाँ (बहु वचन)
1. ओंद गनयाँ
एका पिंज्जका बक ती ओंटाअख़ता र’ ई अदिन ओंद गनयाँ बअनर।
(जिस संज्ञा शब्द से एक का बोध होता हो एक वचन कहते हैं)
एकासे का (जैसे) :
कुक्कोस वे-चा लगदस ।
कुकोय परदा लगी।
सोमरस बर’आ लगदस
एन टूडा लगदन।
मंगरास काला लगदस।
गोला अड्डो मेना लगी।
टट्खा मन्न मेच्छ र’ ई।
(2) बग्गे गनयाँ (बहु वचन) :
एका पिंज्जका बक ती ओंटा ती बग्गेन अख़तारई, अदिन बग्गे गनयाँ बअनर।
(जिस संज्ञा शब्द से एक से अधिक का बोध हो, उसे बहुवचन कहते हैं)
एकासे का :
पेल्लर पाड़ा लगनर ।
कुक्कोर बे-चा लगनर ।
इबड़ा गोला अड्डो मेना लगी।
अबड़ा अट्खा मन्न मेच्छा र’ ई।
ख़द्दर बेचा लगनर ।
अड्डो गुट्टि मेना लगी।
अबड़ा कुकोयर बे-चा लगनर
इसन “पेल्लर, कुकोयर, इबड़ा गोला अड्डो, अबड़ा मन्न, खद्दर, अड्डो गुट्टि “अरा” अबड़ा कुकोयर” बआ ख़ने ओंटा ती बग्गे “आल, अड्डो” अरा “मन” रअना गहि पता लग्गा लगी।
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