कुँडुख़ या ‘कुरुख’ एक भाषा है जो भारत, नेपाल, भूटान तथा बांग्लादेश में बोली जाती है। भारत में यह बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल के उराँव जनजातियों द्वारा बोली जाती है। यह द्रविण परिवार से संबन्धित है। इसको ‘उराँव भाषा’ भी कहते हैं।
छत्तीसगढ़ में बसने वाली उरांव जाति की बोली को कुँडुख़ कहते हैं। इस भाषा में तमिल और कनारी भाषा के शब्दों की बहुतायत है। कुड़ुख भाषा को पश्चिम बंगाल में राजकीय भाषा के रूप में फरवरी २०१८ में स्वीकृति मिली थी।

कुँडुख़ देवनागरी में लिखा गया है, संस्कृत, हिंदी, मराठी, नेपाली और अन्य इंडो-आर्यन भाषाओं को लिखने के लिए भी एक लिपि का उपयोग किया जाता है। 1999 में, एक डॉक्टर नारायण उरांव ने विशेष रूप से कुँडुख़ के लिए वर्णमाला तोलोंग सिकी लिपि का आविष्कार किया। तोलोंग सिकी लिपि में कई किताबें और पत्रिकाएँ प्रकाशित हुई हैं, और इसे 2007 में झारखंड राज्य द्वारा आधिकारिक मान्यता मिली। कुँडुख़ साहित्य के लिए तोलोंग सिकी लिपि को फैलाने में कुँडुख़ लिटरेरी सोसाइटी ऑफ इंडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
यह उरांव और किसान जनजातियों के 2,053,000 लोगों द्वारा बोली जाती है, जिसमें क्रमशः 1,834,000 और 219,000 वक्ता हैं। उरांव में साक्षरता दर 23% और किसान में 17% है। बड़ी संख्या में बोलने वालों के बावजूद, भाषा को संकटग्रस्त माना जाता है। झारखंड और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने बहुसंख्यक कुँडुख़र छात्रों वाले स्कूलों में कुँडुख़ भाषा शुरू की है। झारखंड और पश्चिम बंगाल दोनों ही कुरुख को अपने-अपने राज्यों की आधिकारिक भाषा के रूप में सूचीबद्ध करते हैं। बांग्लादेश में कुछ वक्ता भी हैं।
Source: https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%81%E0%A4%96